अपने साप्ताहिक स्तंभ में हिमांशु कुमार उठा रहे हैं दलित-बहुजनों के सांस्कृतिक अधिकारों के हनन का सवाल। उनके मुताबिक, इस धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक दादागिरी का मुकाबला करने के लिए हमें आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के गांवों में फ़ैली हुई सांस्कृतिक धरोहरों, भाषाओं, पहनावे व खानपान आदि को सामने लाना होगा