तीन साल पहले हुए भारत बंद का महत्व एससी-एसटी एक्ट की पुनर्बहाली तक सीमित नहीं है। व्यापकता में इस आंदोलन ने मुल्क की लोकतांत्रिक चेतना को झकझोरा और उत्पीड़ित समूहों की लोकतांत्रिक सक्रियता को आवेग प्रदान किया। बता रहे हैं रिंकु यादव
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तीन साल पहले जब 2 अप्रैल, 2018 को भारत बंद किया गया तब दृश्य ऐतिहासिक था। दलित-बहुजन सड़क पर थे और उनके मन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के संदर्भ में दिए गए न्यायादेश के खिलाफ आक्रोश। बता रही हैं निर्देश सिंह
मध्य प्रदेश के एससी, एसटी और ओबीसी संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने आरक्षण विरोधी सवर्णों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। साथ ही सवर्णों के दबाव में एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किये जाने संबंधी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान पर भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी है
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल पर जातिवाद के आरोप लग रहे हैं, कहा जा रहा है कि उम्मीदवारों के चुनाव में वे जाति के कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। माना यह जाता रहा है कि जनसंघर्षों से निकली यह पार्टी जाति-पांति की राजनीति से परे हैं। हकीकत क्या है? फॉरवर्ड प्रेस की रिपोर्ट
There are allegations of Arvind Kejriwal and his Aam Aadmi Party resorting to casteism to win elections. But the widely held belief still is that this party, born of a mass movement, is beyond the politics of caste. What is the reality? A report by Forward Press
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में दलित कार्यकर्ता प्रह्लाद मेघवाल के खिलाफ सैंकड़ों की संख्या में जुटे सवर्णों ने इसलिए शिकायत दर्ज करायी, क्योंकि उन्होंने केरल में बाढ़ के दौरान हुए दलितों के साथ भेदभाव संबंधी फारवर्ड प्रेस की खबर को व्हाट्सअप ग्रुप पर शेयर किया था। तमाम तथ्यों के बावजूद पुलिस प्रह्लाद पर गिरफ्तारी का दबाव बना रही है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
In Pratapgarh Rajasthan, hundreds of savarnas have lodged a police complaint against Dalit activist Prahlad Meghwal for sharing a Forward Press report with a WhatsApp group. The report was on a case filed against discrimination in a relief camp of flood-affected Kerala under the SC-ST Act. The police are now trying to arrest Meghwal. A report
बीते 6 सितंबर 2018 को सवर्ण समाज के लोगों ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन को लेकर भारत बंद का आह्वान किया था। इसके पहले सर्वोच्च न्यायालय में तीन याचिकायें दायर की गयी थीं। लेकिन सवर्णों का भारत बंद विफल तो रहा ही, न्यायालय ने भी फिलहाल उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
मीडिया के समर्थन और सवर्ण नेताओं के प्रोत्साहन के बावजूद भी सवर्ण बंद विफल रहा। दलित-ओबीसी एकता तोड़ने में सवर्ण नाकामयाब रहे। एसटी-एसटी एक्ट के विरोध में ओबीसी समुदाय सवर्णों के साथ है, इस दावे की पोल खुल गई। हां कुछ बहुजन नेताओं पर हमले बोल कर सवर्णों ने अपनी घृणा का इजहार जरूर किया। अरूण कुमार की रिपोर्ट :
Despite the support of the savarna leaders and the media, the savarna bandh was a damp squib. The savarnas could not break the Dalit-OBC unity. The claim that the OBCs were with the savarnas in opposing the SC/ST Act proved hollow. But the savarnas did express their hatred for the Bahujans by launching attacks on them. Arun Kumar reports
सवर्ण तबके द्वारा आहूत भारत बंद के समर्थकों ने सांसद पप्पू यादव पर हमला कर उन्हें न सिर्फ घायल किया, बल्कि उन्हें बुरी तरह अपमानित भी किया। हमले के बाद रोते हुए पप्पू यादव के वीडियो फुटेज देखकर दलित-बहुजन समुदाय सन्न और उद्वेलित है
संभवत: यह पहली बार है जब भारत बंद का आह्वान घोषित तौर पर ‘सवर्ण’ समुदाय की ओर से किया गया है। अन्यथा इससे पूर्व भारत का यह सत्ताधारी समुदाय विभिन्न पार्टियों, संगठनों और मुद्दों के क्षद्म वेश में इस प्रकार के आह्वान किया करता था। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
भीम आर्मी राजनीतिक संगठन नहीं लेकिन वह राजनीति पर निगाह रखेगी ताकि कोई दलितों के अधिकारों का हनन नहीं कर सके। भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह बताते हैं कि उनका संगठन राजनीति करने के लिए नहीं बल्कि दलितों के अधिकारों को लेकर लड़ने के लिए है। जिन्हें राजनीति करनी है वे कोई पार्टी ज्वायन कर लें। फारवर्ड प्रेस के संपादक(हिन्दी) नवल किशोर कुमार से बातचीत का संपादित अंश :
Bhim Army is not a political outfit but it does keep an eye on politics to make sure the rights of the Dalits aren’t violated. In an interview with Nawal Kishore Kumar, Bhim Army’s national president Vinay Ratan Singh asks those interested in engaging in politics to join a political party