युवा आदिवासी नेता व विधायक डा. हिरालाल अलावा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है। उनका कहना है कि अनुसूचित क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून का पालन नहीं होने से आदिवासियों का विकास नहीं हो सका है। राजन कुमार की खबर
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मध्यप्रदेश एससी-एसटी एक्ट विरोधी सवर्णों का केंद्र बनता जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा के सवर्ण नेता एससी-एसटी एक्ट विरोधियों के आंदोलन को भीतर से पुरजोर समर्थन दे रहे हैं। आखिरकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इनके सामने झुक गये और एससी-एसटी एक्ट में बदलाव का बयान दे डाला। फॉरवर्ड प्रेस का विश्लेषण :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर मूलनिवासियों का पहला सम्मेलन हुआ था। इसकी स्मृति में विश्व आदिवासी दिवस मनाने का आह्वान 1994 में किया गया। इस दिवस को खास तौर पर मनाया जाने भी लगा है। लेकिन भारत में आरएसएस को इससे एतराज है जबकि बांग्लादेश में जश्न की तैयारी है। कमल चंद्रवंशी की खबर :
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करीब पचास वर्ष की आदिवासी महिला नेता सुकालो गोंड यूपी के सोनभद्र जिले की रहने वाली हैं। अग्रिम पंक्ति की आदिवासी महिला नेताअों में शुमार सुकालो वर्ष 2006 में वनाधिकार रैली का नेतृत्व करके चर्चा में आईं। जबरदस्त हौसले की धनी सुकालो गोंड के बारे में बता रहे हैं नवल किशोर कुमार :
जल, जंगल और जमीन वाले आदिवासियों को जंगल और जमीन से विस्थापित किया ही जा रहा है। अब उन्हें जल से भी महरूम किया जा रहा है। पूरे देश में आदिवासी भीषण जल संकट से गुजर रहे हैं। इस बीच नीति आयोग की 15 जून को जल प्रबंधन पर समग्र रिपोर्ट आई। आयोग ने राज्य तो बताए लेकिन अपने लाल-पीले किए नक्शे में जल संकट ग्रस्त इलाकों के नाम का उल्लेख ही नहीं है। कमल चंद्रवंशी की रिपोर्ट
First, the forests and land were taken away from them. Now they have no water sources to turn to. Adivasis throughout the country are facing a severe water crisis. Meanwhile, on 15 June, Niti Aayog released a report on water management. The report mentions the states that are experiencing water shortage but not pinpoint the areas
मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों में लोग सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून से नाराज हैं। वे संविधान प्रदत्त पांचवी अनुसूची का अनुपालन चाहते हैं। इसके लिए वे अपने ही समुदाय के सांसदों और विधायकों से नाराज हैं जो इसके लिए कोई पहल नहीं करते हैं। हाल में मध्यप्रदेश के धार जिले में आयोजित आदिवासी महापंचायत पर एक रिपोर्ट :
The people in the Adivasi areas of Madhya Pradesh are not happy with the land acquisition law. They want the government to adhere to the Fifth Schedule of the Constitution. In fact, they are unhappy with the spineless legislators of their own community. Here is a report on an Adivasi Mahapanchayat held in Dhar district
देश भर के विश्वविद्यालयों के छात्रसंघों के चुनाव में आरएसएस समर्थित एबीवीपी की हार हो रही है। अब मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में जयस के आदिवासी छात्र संगठनों ने भी उसे करारी मात दी है। एक बड़ा सवाल यह है कि विश्वविद्यालयों में हार नरेंद्र मोदी के लिए खतरा तो नहीं। बता रहे हैं राजन कुमार :
ABVP, the student wing of the RSS, has had to suffer defeats in students’ union elections of universities all over the country. The Adivasi student organizations in Madhya Pradesh have been the latest to inflict on them a thrashing. Do these defeats pose a danger to Narendra Modi?