भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. संजय पासवान का कहना है कि चाहे वह रामविलास पासवान हों या रामदास आठवले सभी अपनी-अपनी पार्टियों के दलित नेता हैं। हम उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में ला रहे हैं
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गरीब सवर्णों के आरक्षण को मायावती से लेकर रामविलास पासवान और रामदास आठवले तक ने समर्थन किया है। इस प्रकार इस विधेयक ने दलित समुदाय के बीच से उठती आवाज़ों को एक किया है। इसके पीछे एक कारण है। दरअसल, देश में दलित नेतृत्व गरीब जनता द्वारा गरीब जनता के लिए है
दलितों और पिछड़े वर्गों के नेताओं में से उदित राज और तेजस्वी यादव जैसे अपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के पक्षधर हैं। दिलचस्प यह है कि कांग्रेस द्वारा दस फीसदी आरक्षण की मांग किये जाने के बाद एनडीए के ही दलित-बहुजन नेता 15 से 25 फीसदी आरक्षण देने की बात कर रहे हैं। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
महाराष्ट्र में दलित आंदोलन की राजनीति से निकले रामदास आठवले अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। एससी-एसटी एक्ट को लेकर भड़के सवर्णों की परवाह न करते हुए उन्होंने एक बार फिर पदोन्नति में आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है।
केंद्र सरकार में शामिल रामविलास पासवान एवं अन्य दलित नेता एससी/एसटी एक्ट को लेकर अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं। जबकि संसद का मानसून सत्र 7 अगस्त तक है। वे चाहें तो सरकार पर विधेयक लाने का दबाव बना सकते हैं। लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट :
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अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं। जाहिर तौर पर सभी अपनी-अपनी राजनीति में जुट गये हैं। पिछले चार वर्षों तक लगभग खामोश रहने वाले एनडीए के दलित मंत्रियों और सांसदों ने भी मोर्चा खोल दिया है। क्या वे ऐसा केवल अपना खूंटा मजबूत बनाये रखने के लिए कर रहे हैं? संजीव चंदन की रिपोर्ट :
भारतरत्न बाबासाहब भीमराव आंबेडकर के पौत्र और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इन्डिया बहुजन महासंघ के नेता पूर्व सांसद प्रकाश आंबेडकर बीते रविवार को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘संविधान बचाओ, देश बचाओ’ रैली में शामिल होने के लिए शनिवार को पटना पहुंचे। उनसे फारवर्ड प्रेस के प्रतिनिधि अनिल गुप्त ने लंबी बातचीत की। पढ़ें इस बातचीत के संपादित अंश
Prakash Ambedkar, Babasaheb Bhimrao Ambedkar’s grandson and president of Republican Party of India Bahujan Mahasangh, was in Patna to participate in the ‘Save the Constitution, Save the Country’ rally. Here are excerpts from his conversation with senior journalist Anil Gupta
मैं यह मानता हूं कि दलित-पिछड़े वर्ग के बच्चों में भी खेल प्रतिभा है। जैसे आज वंचित समाज के बच्चे आरक्षण के कारण मौका मिलने पर इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं, वैसे ही यदि उन्हें मौका दिया जाय तो वे भी अच्छे खिलाड़ी बन सकते हैं
I believe that the children of Dalit-backward classes also have sporting talent. Just as they are becoming doctors and engineers courtesy of reservations today, if given an opportunity, they can become good sportspeople too
हरियाणा के मिर्चपुर में जातीय दंगे का शिकार हुए दलित वाल्मीकि परिवार के सामाजिक और नागरिक बहिष्कार को लोकतंत्र के बुनियादी उसूलों के खिलाफ बताते हुए अनिल कुमार उनके खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विविध पहलुओं को स्पष्ट कर रहे हैं
The social and civil boycott of the Valmiki victims of casteist violence in Mirchpur, Haryana, violates the basic tenets of democracy, argues Anil Kumar, while underlining the ills of this pernicious practice
नागपुर के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इधर आम आदमी पार्टी ने सीपीआई से ‘आप’ में आए जमीनी नेता जम्मू आनंद (अति पिछड़ा) की जगह अंजलि दमानिया को टिकट देकर प्रतीक का जो खेल खेला है, वह भी गडकरी के हित में ही जाने वाला है।
Those in the know of the political ground realities of Nagpur say that the symbolism of AAP fielding Anjali Damania instead of the grassroots leader Jammu Anand (EBC), who has joined AAP after quitting the CPI, has also not been lost on the people and it is only going to benefit Gadkari