हर स्तर पर जातिवादी भेदभाव से मुक्ति का लक्ष्य एक व्यवहारिक और ठोस लक्ष्य है,जबकि जाति के विनाश का लक्ष्य एक अव्यवहारिक और अमूर्त लक्ष्य है। दलितों-बहुजनों को अपनी मेधा और ताकत जाति भेद से मुक्ति के लिए लगानी चाहिए। ऐसा क्यों करना चाहिए, बता रहे हैं, कमलेश वर्मा :