महिषासुर : मिथक और परंपराएं किताब महिषासुर आंदोलन-विमर्श के विविध आयामों को प्रस्तुत करती है। इस किताब की एक समीक्षा लेखक-पत्रकार राजकिशोर जी ने की है, उनका कहना है कि महिषासुर कल्पना नहीं वास्तविकता हैं, वे महिषासुर को प्रेम के प्रतीक के रूप में देखने का आ्ग्रह करते हैं। प्रस्तुत है, उनकी समीक्षा :