युवा आदिवासी नेता व विधायक डा. हिरालाल अलावा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है। उनका कहना है कि अनुसूचित क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून का पालन नहीं होने से आदिवासियों का विकास नहीं हो सका है। राजन कुमार की खबर
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हूल क्रांति (30 जून, 1855) की वर्षगांठ के मौके पर भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नंदकुमार साय से राजन कुमार की खास बातचीत
यह सही है कि फिल्में मुनाफा कमाने के उद्देश्य से बनाई जाती हैं और उनसे किसी सामाजिक क्रांति की उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन मुनाफे के नाम पर नायक का केंद्रीय चरित्र सिर्फ उंची जाति का हो तो यह फिल्मकारों का जातिवाद ही है। बता रहे हैं कुमार भास्कर
छत्तीसगढ़ के ब्राह्मण समाज के लोगों ने भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके लिए वे उनके पिता नंदकुमार बघेल को माध्यम बना रहे हैं। उनका कहना है कि नंदकुमार बघेल के विचारों से उनका ब्राह्मणवाद छलनी हो रहा है। बता रहे हैं गोल्डी एम. जॉर्ज
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एकबार फिर माओवादी हमले में 17 जवान शहीद हुए हैं। मरने वालों में 15 आदिवासी और 2 ओबीसी थे। ये सभी डीआरजी और एसटीएफ के सदस्य थे। तामेश्वर सिन्हा बता रहे हैं कि स्थानीय आदिवासी व अन्य मूलवासी युद्ध बलि बन रहे हैं
आदिवासी बहुल झारखंड में एक बार फिर एक व्यक्ति की मौत भूख के कारण हो गई है। मृतक का नाम भुखल घासी है, जो दलित समुदाय का था। विशद कुमार बता रहे हैं कि 2016 से लेकर अब तक झारखंड में 23 लोग भूख के कारण मरे हैं। इनमें कोई सवर्ण नहीं है। सबके सब दलित-बहुजन हैं
भारत में होली का मूल स्वरुप और वैज्ञानिक अवधारणा शायद ही कोई जानता हो। सूर्या बाली बता रहे हैं कि यह कोइतुरों का शिमगा सग्गुम पर्व हैं, जो वास्तव में हिंदुओं का नहीं बल्कि कोइतूरो का शुद्ध कृषि प्रधान त्यौहार है, जिसके पीछे एक विज्ञान भी है
विशद कुमार बता रहे हैं झारखंड के सुदूर गुमला और लातेहार के पठारी इलाकों में रहने वाले असुर आदिम जनजाति के लाेगों के द्वारा शुरू किए गए सामुदायिक रेडियो के बारे में। ये वही हैं जिन्हें हिंदू धर्म ग्रंथों में खलनायक बताया गया है। जबकि वे भी अन्य सभी के जैसे इंसान हैं और अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं
सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में अब दलित, पिछड़े,आदिवासी व मुसलमान एकजुट हो रहे हैं। ऐसी ही एकजुटता बीते 4 मार्च को प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर-मंतर पर देखने को मिली। सुशील मानव की खबर
गोल्डी एम. जॉर्ज लिखते है कि हाल में जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की रिपोर्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ने और अन्य अध्ययनों से उसकी तुलना करने से यह साफ़ जाहिर होता है कि सरकार दरअसल इस तथ्य को छुपाने का प्रयास कर रही है कि समृद्ध जैव विविधता वाले वनों का क्षेत्रफल घटता जा रहा है। इन वनों का स्थान पर एक ही प्रजाति के वृक्षों वाले व्यावसायिक बागान ले रहे हैं
The recently released India State of Forest Report made the headlines for the finding that the forest cover has been increasing. The fine print of the report and other studies though suggest that the government is covering up the continuing loss of richly biodiverse forests with data on the increasing commercial monoculture plantations that leave Adivasis out of the picture, reports Goldy M. George