गोल्डी एम. जॉर्ज लिखते है कि हाल में जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की रिपोर्ट को ध्यानपूर्वक पढ़ने और अन्य अध्ययनों से उसकी तुलना करने से यह साफ़ जाहिर होता है कि सरकार दरअसल इस तथ्य को छुपाने का प्रयास कर रही है कि समृद्ध जैव विविधता वाले वनों का क्षेत्रफल घटता जा रहा है। इन वनों का स्थान पर एक ही प्रजाति के वृक्षों वाले व्यावसायिक बागान ले रहे हैं
The recently released India State of Forest Report made the headlines for the finding that the forest cover has been increasing. The fine print of the report and other studies though suggest that the government is covering up the continuing loss of richly biodiverse forests with data on the increasing commercial monoculture plantations that leave Adivasis out of the picture, reports Goldy M. George
पृथक झारखंड राज्य की मांग को लेकर जुटे आदिवासियों की शहादत की गाथा सुनाते हुए विशद कुमार लिखते है कि यह एक ऐसा आंदोलन था जिसमें आजादी के मात्र साढ़े चार महीने बाद यानी 1 जनवरी 1948 को ही खरसावां हाट बाजारटांड़ में पुलिस फायरिंग में सैकड़ों आदिवासी मारे गए
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गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि कैसे हेमंत सोरेन सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक के निर्णय आदिवासियों के संघर्षों की स्वीकृति है. आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन के संघर्ष को स्वीकृति प्रदान करने की दिशा में मुंख्यमंत्री सोरेन द्वारा उठाया गया यह पहला महत्वपूर्ण कदम है. इस दिशा में भविष्य में बहुत कुछ किया जाना बाकी है
दूसरे कार्यकाल के प्रारंभ में ही केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में रिक्त पड़ी नियुक्तियों को भरने के लिए स्पेशल ड्राइव चलाया है। लेकिन इसके साथ ही विश्वविद्यालय अपनी ओर से योग्य अभ्यर्थियों को रोकने के लिए नई तरकीबें भी इजाद कर रहे हैं
आदिवासी चेतना की यह 21वीं सदी है जो वैचारिकी और जमीन से निकले आंदोलनों वाले लोकतांत्रिक हथियारों से लैस है। जयस इन्हीं लोकतांत्रिक मूल्यों का वाहक है। वह मध्य प्रदेश के 32 आदिवासी गांवों की लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर ले आया है। जहां से राज्य सरकार के लिए पार पाना आसान नहीं है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा आदिवासियों पर जुल्म के आरोप लगते रहे हैं। यह पहला उदाहरण है जब वहां की पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ पुलिस को चुनौती दी है। याचिकताकर्ता आदिवासी महिलाओं से विशेष बातचीत के आधार पर अबतक की उनकी संघर्ष यात्रा और चुनौतियों के बारे में बता रहे हैं नवल किशोर कुमार :
Chhattisgarh Police has often been accused of crimes against Adivasis. For the first time, though, the women among the victims have moved the Supreme Court against the state police. The petitioners narrate their tale of struggles and challenges