आदिवासी समाज के आत्मसम्मान, अस्मिता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए युवाओं को राजनीति में आना पड़ेगा। क्योंकि पिछले 70 वर्षों से आदिवासियों के नाम पर ऐसे प्रतिनिधि चुने जा रहे हैं, जिनका आदिवासी मुद्दों से गहरा सरोकार नहीं है। आदिवासी युवाओं के नाम हीरालाल अलावा का पत्र :