इंटरव्यू ही ब्राह्मणों का वह घातक अस्त्र है, जिससे वे दलित-ओबीसी और आदिवासियों की गर्दनें काटते हैं। किसने बनाया है इंटरव्यू का यह न्याय-विरोधी अस्त्र? क्या दलितों ने? क्या ओबीसी के नेताओं ने? क्या आदिवासियों ने? उत्तर है नहीं। इस न्याय-विरोधी अस्त्र के निर्माता बद्री नारायण जैसे ब्राह्मण हैं। बता रहे हैं कंवल भारती
–
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि ओबीसी ग्रांट का पैसा ओबीसी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसका दूसरे मद में उपयोग अनुचित है। उन्होंने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि ओबीसी छात्रों को दाखिले के समय परेशान किया जाता है
राज्याधीन मेडिकल कालेजों व शिक्षण संस्थानों में ऑल इंडिया कोटे के तहत ओबीसी को आरक्षण नहीं देने के नये तिकड़म खोज लिये गए हैं। केंद्र सरकार के अधीन नवगठित नेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ने यह साफ कर दिया है कि जबतक सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता या फिर केंद्र सरकार कोई निर्णय नहीं लेती है तबतक ओबीसी को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। नवल किशोर कुमार की खबर
प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय में ओबीसी छात्र-छात्राओं को दाखिले से वंचित किया जा रहा है। पहले उन्हें लॉकडाउन की अवधि के दौरान जारी गैर-क्रीमीलेयर प्रमाण लाने को कहा गया। विरोध होने पर विश्वविद्यालय को अपनी भूल का अहसास हुआ और उसने 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया। लेकिन इससे ओबीसी छात्रों की परेशानी कम नहीं हुई है। बता रहे हैं नवल किशोर कुमार
दिल्ली विश्वविद्यालय ओबीसी अभ्यर्थियों को 30 मार्च 2019 को या इसके बाद जारी गैर क्रीमीलेयर प्रमाणपत्र जमा करने को बाध्य कर ही रहा है, साथ ही ऑनलाइन फार्म भरने के समय विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आय के बारे में जानकारी मांगकर उन्हें परेशान किया जा रहा है
दिल्ली विश्वविद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। ओबीसी वर्ग के छात्र/छात्राओं से कहा जा रहा है कि वे 30 मार्च 2019 या इसके बाद जारी गैर क्रीमीलेयर प्रमाण पत्र लाएं। इस कारण उनके प्रवेश में बाधाएं खड़ी हो रही हैं
जेएनयू और डीयू के छात्रों के विरोध और हाईकोर्ट से मिली फटकार के बाद लगता है सरकार को समझ में आया कि उच्च शिक्षा के साथ वह मजाक नहीं कर सकती है। एमफिल और पीएचडी के छात्रों के दाखिले के लिए अब 2016 की यूजीसी की अधिसूचना में दूसरी बार संशोधन होने जा रहा है। पूरा माजरा बता रहे हैं कमल चंद्रवंशी :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
यूजीसी के द्वारा सख्त निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक यूनिवर्सिटी/कॉलेज/संस्थान में एससी, एसटी सेल बने। लेकिन देखने में आया है कि अधिकांश कॉलेजों में सेल की स्थापना नहीं की गई है
The University Grants Commission has directed each university and college to set up SC and ST cells. But most of the DU colleges have yet to comply