बुद्धकालीन चिकित्सा प्रणाली की बात करें तो यह युग जिस प्रकार वर्णव्यवस्था के प्रतिकूल दिखाई देता है, चिकित्सा प्रणाली के एकदम अनुकूल दिखाई पड़ता है। बुद्ध की यह उद्घोषणा कि “जो मेरी सेवा करना चाहे, वह रोगी की सेवा करे”, स्पष्ट करती है कि इस काल में भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद न होकर आयुर्विज्ञान की तरह फूली-फली होगी। पढ़ें, द्वारका भारती का यह आलेख