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भारत सरकार के पूर्व सचिव पी.एस. कृष्णन ने केंद्रीय मंत्री जुआल ओराम को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए जल्द-से-जल्द अध्यादेश लाए। वहीं झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का कहना है कि सरकार ने आदिवासियों का पक्ष ईमानदारी से नहीं रखा
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
झारखंड के रूप में पृथक राज्य की मांग 1920 से ही शुरु हो गयी थी। करीब अस्सी वर्षों तक राजनीतिक संघर्ष के बाद यह अस्तित्व में आया भी तो, बीते 18 वर्षों में न तो नेताओं का चरित्र बदला है और न ही आदिवासियों की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हिस्सेदारी। बता रहे हैं विशद कुमार :
The ‘Religious Freedom’ Bill has grabbed the headlines, so much so that no one is talking about the controversial Bill on land acquisition. That is exactly how the government wanted it though, and the local media is doing its bit keep the real issue at bay
झारखंड में जमीन कब्जाने को सरकार के द्वारा लाये गये विधेयक पर चर्चा से अधिक धर्म के सवाल पर लाया गया विधेयक अधिक सुर्खियों में है। स्थानीय मीडिया भी इस विधेयक को हवा दे रही है। मंशा साफ है कि लोग जमीन पर कब्जा वाले विधेयक की चर्चा ही न करें। लेकिन इसके उलट झारखंड में सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। पूरे घटनाक्रम पर नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट :