गोंड विचारक डा. सूर्या बाली के मुताबिक बात दो सौ रुपए की नहीं है। असल में गोंड समुदाय के लोग अब अपनी संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं को लेकर जागरूक हो चले हैं। उन्होंने उन पर थोपी जा रही परंपराओं का विरोध शुरू दिया है
–