अभिजीत गुहा बता रहे हैं कि किसी भी देश के राष्ट्रीय मानवशास्त्र का विकास, राष्ट्रवाद से जुड़े मुद्दों के प्रति धर्मनिरपेक्ष और देशी दृष्टिकोण रखे बिना नहीं हो सकता। साथ ही वे दो मानवशास्त्रियों के अध्ययनों की स्वीकृति-अस्वीकृति के आधार पर यह भी बता रहे हैं कि भारतीय मानवशास्त्र मनुवादी पूर्वग्रह से ग्रस्त रहा है