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दलित और आदिवासियों की मजबूरी का फायदा उठाकर आज भी बंधुआ मजदूरी कराने जैसे काले कारनामों पर रोक नहीं लग सकी है। बेंगलूरु में लेबर माफिया का तब भंडाफोड़ हुआ, जब 52 मजदूर मुक्त कराए गए। उनसे बेहद अमानवीय तरीके से काम लिया जा रहा था
Ish Mishra shows a glimpse of the changing social equations and the breaking-down of the imposed ‘harmony’ in villages and their march towards equality
गांवों में बदलते सामाजिक समीकरण, टूटती आरोपित ‘समरसता’, समानता के अधिकार की ओर उन्मुखता की झांकी दे रहे हैं लेखक ईश मिश्रा