शायर मूलचन्द सोनकर ने बिंबों में उन किरदारों को लिया है, जिन्होंने दलितों-शोषितों-पिछड़ों पर जमकर अत्याचार किए हैं। सोनकर की शायरी में बहुजनों को झकझोरने की ताक़त है, तो जाति-वर्ण-भाषा-क्षेत्र के नाम पर लोगों का शोषण और उनसे भेदभाव करने वालों के ख़िलाफ़ गुस्सा भी है