Kanshi Ram believed that by forcing Ambedkar to sign the Poona Pact on 24 September 1932, Gandhi pushed the Untouchables into the ‘Chamcha Yug’ (the era of stooges). Kanshi Ram’s only book, Chamcha Yug, dwells on the nature and the form of the post-Poona-Pact Dalit politics. Alakh Niranjan throws light on the significance of this book
कांशीराम का मानना था कि 24 सितंबर 1932 को गांधी ने आंबेडकर को पूना पैक्ट के लिए बाध्य करके अनुसूचित जातियों की राजनीति को चमचा युग में ढकेल दिया। कांशीराम की एकमात्र किताब चमचा युग पूना पैक्ट के बाद की दलित राजनीति के चरित्र को सामने लाती है। इस किताब की महत्ता पर रोशनी डाल रहे हैं, अलख निरंजन
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रजनी तिलक द्वारा मानवीय मूल्यों के साथ जीवन के हर संघर्ष को किसी चुनौती की तरह स्वीकारना तथा उनकी प्राप्ति के लिए लड़ना उनका सहज मानवीय गुण रहा। इसलिए शायद वे ‘लड़ाकी’ जैसे उपनाम से भी सुशोभित रहीं। बता रही हैं पूनम तुषामड़
राजनीति में वैचारिक स्पष्टता जरूरी है। फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार के साथ प्रकाश आंबेडकर की विस्तृत बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बसपा और बामसेफ की राजनीति शुरू से ही फेल थी। ये दोनों आंबेडकराइट आइडियोलॉजी से कभी जुड़े नहीं। प्रस्तुत है इस लंबेी बातचीत का संपादित अंश
The chief of the Suheldev Bharatiya Samaj Party says the SP-BSP alliance collapsed only because of the CBI’s sword hanging over the head of Mayawati’s brother Anand. Talking to Forward Press, he termed the alliance a successful experiment
साफ़-साफ़ शब्दों में कहें तो बसपा प्रमुख मायावती के भाई आनंद की गर्दन पर लटकी सीबीआई की तलवार की वजह से यह गठबंधन टूटा। सपा और बसपा के बीच गठबंधन एक सफल प्रयोग था जिसे खत्म कर दिया गया। फारवर्ड प्रेस से विशेष बातचीत में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर
लेखक जुबैर आलम सवाल उठा रहे हैं कि किस प्रकार सपा और बसपा जैसी पार्टियों ने मुसलमानों के वोटों का केवल सत्ता के लिए इस्तेमाल किया। जबकि उनके सवाल सवाल ही रहे
Zubair Alam writes that India’s OBC leadership is predominantly Hindu and there are few, if any, Muslims in its ranks. He seeks an explanation from OBC leaders about why, in the past 30 years, no Muslim could emerge as an OBC leader
लेखक जुबैर आलम बता रहे हैं कि ओबीसी नेतृत्व में आपको हिन्दू नेता मिल जायेंगे लेकिन आपको ठीक से चार मुस्लिम नेता भी नहीं मिलेंगे जिनकी पहचान ओबीसी नेता की हो। ओबीसी के स्थापित नेतागणों को बताना चाहिए लगभग तीस साल के इस सफर में आखिर क्यों मुस्लिम समुदाय से ओबीसी नेतृत्व सामने नहीं ला पाये?
भारतीय राजनीति में ओबीसी का प्रभाव 2009 में ही कमजोर पड़ने लगा। लेकिन 2014 में मोदी लहर ने मंडल राजनीति को अप्रासंगिक बना दिया। इस बार हुए चुनाव में यह साबित हो गया कि सवर्णों का स्वर्ण युग वापस आ गया है
आरक्षण का मकसद शासन व प्रशासन में उनकी हिस्सेदारी को बढ़ाना है जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े रहे हैं। यह गरीबी उन्मूलन नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व बढ़ाने का उपक्रम है। जैसे रक्षा और विदेश नीति के मामले में सभी राजनैतिक दल एकमत होते हैं, आरक्षण के सवाल पर भी उन्हें एक राय बनानी चाहिए। जाति के आधार पर तुष्टिकरण के परिणाम अबतक नकारात्मक रहे हैं
उत्तर-प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के हाथ मिलाने की खबर आ रही है। वहीं कांग्रेस से दूरी बनाए रखने की भी बात सामने आ रही है। आखिर क्या वजह है कि सपा-बसपा नहीं चाहती कि कांग्रेस उनके गठबंधन में शामिल हो
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना के कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में बसपा प्रमुख ने कहा है कि यह भाजपा की साजिश है। वहीं उन्होंने भीम आर्मी पर बिकाऊ होने का आरोप लगाया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :