Which alliance/party in the fray for the upcoming assembly elections in Bihar is likely to get the backing of the Muslims? Most probably that which prioritizes preserving and protecting the Constitution of India and giving the community a fair share in employment opportunities and in the political leadership, finds Hussain Tabish
इस बार बिहार के मुसलमान विधानसभा चुनाव में क्या चाहते हैं और उनका रूख क्या है, इस संबंध में ताबिश दे रहे हैं जमीनी जानकारी। उनके मुताबिक, बिहार के मुसलमान इस बार भारतीय संविधान को बचाने के पक्षधर है। रोजगार और नेतृत्व में हिस्सेदारी को लेकर भी उनके सवाल हैं
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प्रकाश आंबेडकर के अनुसार सीएए-एनपीआर-एनआरसी आरएसएस के मूल वैदिक मनुवादी दर्शनशास्त्र को भारत में पुनः स्थापित करने का ज़रिया हैं। यदि भारत में यह दमनकारी कानून लागू हुआ तो विश्व समुदाय के बीच नागरिकता के सवाल पर नकारात्मक संदेश जाएगा। संभव है कि दूसरे देशों में रहने वाले भारतीयों को मिलने वाले अधिकार छीने लिए जाएं
सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में अब दलित, पिछड़े,आदिवासी व मुसलमान एकजुट हो रहे हैं। ऐसी ही एकजुटता बीते 4 मार्च को प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर-मंतर पर देखने को मिली। सुशील मानव की खबर
सीएए और एनआरसी को लेकर दिल्ली में दंगे के शिकार फारवर्ड प्रेस से जुड़े स्वतंत्र पत्रकार सुशील मानव हुए। दिल्ली के तनावपूर्ण मौजपुर इलाके में उन्मादी भीड़ ने उन्हें बुरी तरह मारा और पिस्तौल की नोंक पर हनुमान चालीसा व गायत्री मंत्र पढ़ने को कहा। पत्रकारों पर हमला प्रेस की आजादी पर सीधा हमला है
A large number of Indians – most of them Dalits, Adivasis and the poor – will lose their citizenship under CAA only for a few thousand refugees from Pakistan, Bangladesh and Afghanistan to be accommodated, writes Vivek Sakpal
Alakh Niranjan argues that it is imperative to oppose CAA as it designed not only to alienate the Muslims but also crush the voices of protest against upper-caste (Dwij) dominance
How did the exclusionary citizenship law of today come to be? Goldy M. George traces the birth of the Citizenship Act and the several amendments it underwent over the years and explains the implications of the hotly debated latest amendment
गत 10 जनवरी, 2020 से देश में सीएए को लागू कर दिया गया है। यह इसके बावजूद कि देश भर में इसका व्यापक विरोध हो रहा है और कई राज्य सरकारों ने इसे लागू नहीं करने की बात कही है। इन सबके बीच गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि बहिष्करण पर आधारित नया नागरिकता कानून क्यों और कैसे बनाया गया? साथ ही यह भी कि इस कानून में ताजा परिवर्तनों के क्या निहितार्थ हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भले ही संसद में बहिष्कार का दिखावा कर भाजपा को मदद पहुंचाई, लेकिन अभी तक उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि वे अपने राज्य में सीएए को लागू करेंगे अथवा नहीं। ‘हां’ या ‘ना’ के बीच डोल रही नीतीश की सियासत पर नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट
Bhante Suniti dismisses CAA 2019 as unconstitutional. She says it not only targets Muslims but also SCs, STs, OBCs and the illiterate and the landless at large. Excerpts from her interview with Goldy M. George
छत्तीसगढ़ के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार से विशेष बातचीत में कहा है कि पिछले वर्ष ही करीब 10 लाख आदिवासी परिवारों को बेघर कर देने का फैसला सामने आया था। उनके पास भी पहचान की समस्या थी। एक बार फिर सरकार ने सीएए बनाया है