दुनिया को गुलाम बनानेवाले शोषक चाहे जितने भी निकृष्ट और पतित रहे हों लेकिन वे भारतीय शोषकों से बहुत ऊंचे थे। उन्होंने गुलामों से दूरी भले ही रखी हो, उन्हें मारा-पीटा हो, लेकिन उनके खिलाफ घृणा को स्थायी बनाने के लिए किताबें नहीं लिखी, ग्रंथ नहीं रचे। बहुजनों का साहित्य कैसा हो, बता रहे हैं रामजी यादव