मुश्किल से एक-दो प्रतिशत मुसलमान ही यहां अरब, ईरान, और इराक से आए हैं। पसमांदा मुस्लिम यहां के मूल निवासी हैं। हम अकलियत के लोग नहीं, बल्कि अकसरियत (बहुजन) हैं। पसमांदा शब्द उर्दू-फारसी का है, जिसका अर्थ होता है पीछे छूटे या नीचे धकेल दिए गए लोग। अब हम ‘पसमांदा’ नहीं, बल्कि ‘पेशमांदा ’(आगे रहनेवाला) बनना चाहते हैं। पढ़ें अली अनवर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा यह पत्र