गत 10 जनवरी, 2020 से देश में सीएए को लागू कर दिया गया है। यह इसके बावजूद कि देश भर में इसका व्यापक विरोध हो रहा है और कई राज्य सरकारों ने इसे लागू नहीं करने की बात कही है। इन सबके बीच गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि बहिष्करण पर आधारित नया नागरिकता कानून क्यों और कैसे बनाया गया? साथ ही यह भी कि इस कानून में ताजा परिवर्तनों के क्या निहितार्थ हैं.
How did the exclusionary citizenship law of today come to be? Goldy M. George traces the birth of the Citizenship Act and the several amendments it underwent over the years and explains the implications of the hotly debated latest amendment
सिंधु सभ्यता के पतन के बाद से ही ब्राह्मणवादी विषमता का दौर प्रारम्भ हुआ। इस विषमता के खिलाफ बुद्ध से लेकर कबीर, जोतीराव फुले, सावित्री बाई फुले, डॉ. अांबेडकर, पेरियार आदि हमारे नायकों ने संघर्ष किया। जिस दिन 26 नवंबर 1949 को भारत ने संविधान को अंगीकार किया, वह दिन ब्राह्मणवादी शक्तियों के पराजय का दिन था। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
संघ का इतिहास संविधान विरोधी रहा है। फिर चाहे वह गोलवलकर रहे हों या आज के मोहन भागवत। लेकिन हाल के दिनों में ऐसा क्या हुआ है कि संघ संविधान की शपथ खा रहा है और डॉ. आंबेडकर के विचारों के प्रति सम्मान प्रकट कर रहा है? जाहिर तौर पर यह उसकी सद्इच्छा तो बिल्कुल नहीं है। बता रहे हैं सिद्धार्थ