Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
सिंधु सभ्यता के पतन के बाद से ही ब्राह्मणवादी विषमता का दौर प्रारम्भ हुआ। इस विषमता के खिलाफ बुद्ध से लेकर कबीर, जोतीराव फुले, सावित्री बाई फुले, डॉ. अांबेडकर, पेरियार आदि हमारे नायकों ने संघर्ष किया। जिस दिन 26 नवंबर 1949 को भारत ने संविधान को अंगीकार किया, वह दिन ब्राह्मणवादी शक्तियों के पराजय का दिन था। फारवर्ड प्रेस की खबर :
संघ का इतिहास संविधान विरोधी रहा है। फिर चाहे वह गोलवलकर रहे हों या आज के मोहन भागवत। लेकिन हाल के दिनों में ऐसा क्या हुआ है कि संघ संविधान की शपथ खा रहा है और डॉ. आंबेडकर के विचारों के प्रति सम्मान प्रकट कर रहा है? जाहिर तौर पर यह उसकी सद्इच्छा तो बिल्कुल नहीं है। बता रहे हैं सिद्धार्थ
The recent request of the Odisha Government to include three tribal languages spoken in the state in the Eighth Schedule of the Constitution has brought to the fore the fact that tribal languages are held in disdain in our country. Saumy Prateek reports
हाल ही में ओडीसा सरकार ने तीन आदिवासी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया। उसके इस पहल से उन आदिवासी भाषाओं को लेकर विमर्श शुरु हो गया है जो हमारे देश में तुच्छ समझे जाते हैं। सौम्य प्रतीक की खबर :