आरएसएस कांचा आयलैया की लोकतांत्रिक वैचारिकी को कैसे बर्दाश्त कर सकता है? वह कब चाहेगा कि कांचा आयलैया की किताबें दलित-बहुजनों को हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक फासीवाद के विरुद्ध तैयार करें और ब्राह्मण राष्ट्र के निर्माण को चुनौती मिले। कंवल भारती का विश्लेषण :