सातों दौर की वोटिंग में एक बात बहुत साफ है। मुसलमान, जाट, यादव, पासी, राजभर, कुर्मी, जाटव और मौर्य मतदाताओं के बीच दूरी बहुत हद तक घटी है। बता रहे हैं सैयद जैगम मुर्तजा
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आज की पार्टियां इस बात को बखूबी समझती हैं कि अगर उन्हें सफल होना है तो उन्हें राजनीति को सामाजिक न्याय की दिशा में ले जाना पड़ेगा। बिहार के अलावा अन्य हिंदी भाषी राज्यों में भी इस तरह की राजनीति दिखाई पड़ेगी। पढ़ें, सीएसडीएस के निदेशक व प्रख्यात चुनावी विश्लेषक प्रो. संजय कुमार से विशेष साक्षात्कार
Today, the political parties know very well if they are to succeed, they will have to have to steer their politics towards social justice. This is true not only of Bihar but also other Hindi-belt states, says Sanjay Kumar, well-known poll analyst and director of CSDS