लेखक प्रेमकुमार मणि ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि गांधी का शुरुआती दौर में जो महत्व था, उसके सामने आंबेडकर कहीं नहीं टिकते थे। लेकिन स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा जैसे आधुनिक उसूलों के लिए आंबेडकर ने जो कार्य किए, उसके सामने गांधी बौने दिखते हैं। कुमार समीर की समीक्षा :