–
लेखक सूर्या बाली बता रहे हैं कि कैसे बादल भोई ने जंगलों पर अंग्रेजों के कब्जे का विरोध किया था और एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उन्हें वह जगह नहीं दी गयी जिसके वे हकदार थे
इतिहास बताता है कि हम अतीत में भी लड़ते रहे हैं। उन लड़ाइयों में हमने इतनी हिंसा की है, जिसका कोई हिसाब नहीं। क्या आज हम अतीत की उन लड़ाइयों की नयी व्याख्या के नाम पर एक बार फिर एक दूसरे के खिलाफ खंजर उठा लें? क्या इतिहास की गलतियों को आज दुरुस्त किया जा सकता है?
Atal Bihari Vajpayee did nothing that his party BJP or the media have found worth listing. In fact, many of his decisions left the backward classes, minorities, SCs, STs and the workers worse off. Akhil Niranjan explains
मीडिया के समर्थन और सवर्ण नेताओं के प्रोत्साहन के बावजूद भी सवर्ण बंद विफल रहा। दलित-ओबीसी एकता तोड़ने में सवर्ण नाकामयाब रहे। एसटी-एसटी एक्ट के विरोध में ओबीसी समुदाय सवर्णों के साथ है, इस दावे की पोल खुल गई। हां कुछ बहुजन नेताओं पर हमले बोल कर सवर्णों ने अपनी घृणा का इजहार जरूर किया। अरूण कुमार की रिपोर्ट :
वाजपेयी ने ऐसा कोई कार्य किया ही नहीं है जिसे भाजपा व मीडिया गिना सके। उल्टे उन्होंने ऐसे कई कार्य किए हैं जिसने पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों/जनजातियों, मजदूरों व नौकरीपेशा जनता के जीवन पर बदतर बनाया है। बता रहे हैं अलख निरंजन :