गांधी-आंबेडकर के जाति-विषयक विचारों को भी यहां रखा गया है, जो 1936 के ‘जातिवाद का विनाश’ पुस्तिका के प्रकाशन के उपरांत प्रकट हुए थे। आखिर में 1955 में, यानि मृत्यु से साल भर पूर्व बीबीसी द्वारा आंबेडकर से लिए गए साक्षात्कार को भी इसमें संकलित किया गया है। इस तरह यह एक उपयोगी किताब बन गई है। पढ़ें, फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किताब ‘आंबेडकर की नजर में गांधी और गांधीवाद’ के संबंध में प्रेमकुमार मणि की यह टिप्पणी