मैं जब वर्ष 1992 में बस्तर आया तब तक गावों में रहने वाले आदिवासियों को होली, दीपावली, शिवरात्रि जैसे त्यौहारों के बारे में जानकारी नहीं मिली थी। आदिवासी गाय और बैल दोनों का उपयोग हल चलाते हेतु करते थे। बता रहे हैं हिमांशु कुमार
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