शिवाजी यदि ब्राह्मण प्रतिपालक थे और शिवाजी का शासन यदि ब्राह्मण और हिंदू धर्म को सुरक्षा प्रदान करता था, तो क्या ब्राह्मण उनके विरुद्ध ‘कोटि चंडी यज्ञ’ करते? पढ़ें, गोविंद पानसरे की चर्चित किताब ‘शिवाजी कौन थे?’ के एक अध्याय का अंश
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पानसरे साहब ने कहानी की शुरुआत महाराष्ट्र-कर्नाटक में सामाजिक सुधार आंदोलनों से की और बताया कि किस तरह सन् 1845 के बाद ब्राह्मणवाद-विरोधी सत्यशोधक आंदोलन तेज हुआ था। पानसरे के मुताबिक ज्योतिबा फुले की अगुवाई में यह एक शूद्र और अतिशूद्र समाज-आधारित आंदोलन था। इस आंदोलन में तमाम तरह के विषयों पर नये विचार भी सामने आये। पढ़ें, उर्मिलेश की किताब में संकलित आलेख का एक अंश