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जिग्नेश मेवाणी को बुधवार की रात असम पुलिस ने गुजरात के पालनपुर सर्किट हाउस से गिरफ्तार कर लिया। लेकिन उनकी गिरफ्तारी किस ट्वीट के मद्देनजर की गयी है, यह अस्पष्ट है, बता रहे हैं नवल किशोर कुमार
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल इलाकों में कोरोना के मद्देनजर सरकारी तंत्र की उदासीनता साफ तौर पर दिखती है। वहीं आदिवासियों के मन में दहशत भी है। बता रहे हैं मनीष भट्ट मनु
अकादमिक जगत में संघ अपनी पैठ बनाता जा रहा है। गुजरात विवि के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाली एक संगोष्ठी इसका उदाहरण है। संगोष्ठी के आयोजकों का कहना है कि भारतीय काव्यशास्त्र से उनका आशय मुख्यतः संस्कृत काव्यशास्त्र से है
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने मांग की है कि गुजरात पिछड़ा वर्ग आयोग वह रिपोर्ट सार्वजनिक करे, जिसके आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति मोध-घांची को ओबीसी में शामिल किया गया था। साथ ही उन्होंने राज्य में पाटीदारों का सर्वेक्षण कराए जाने की मांग भी की है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
गुजरात में रहने वाले बिहारवासियों और उत्तर प्रदेश के लोगों को पीटा जा रहा है। उन्हें भगाया जा रहा है। सरकारें मौन हैं। क्या इसकी वजह केवल यह है कि केंद्र के साथ-साथ गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश में एक ही राजनीतिक खेमे एनडीए की सरकर है? इस राजनीतिक सवाल से इतर एक दलित बिहारी की व्यथा
In a conversation with Utpalkant Anish, Jignesh Mewani emphasizes Dalit-Muslim unity. He says the leadership of Left parties needs to change its orientation, and Dalit organizations should include bread-and-butter issues in their movement. Mewani also dwells on the history, background and future of the Dalit movement
जिग्नेश मेवानी उत्पलकांत अनीस से अपनी बात में दलित-मुसलमान एकता पर जोर दे रहे हैं। उनके अनुसार वामपंथी पार्टियों को नेतृत्व की अपनी नीतियों में बदलाव लाना होगा, वहीं दलित संगठनों को रोटी-कपड़ा-मकान के मुद्दे अपने आंदोलन में शामिल करना चाहिए। इस बातचीत में जिग्नेश मेवानी दलित आंदोलन के अतीत, उसकी पृष्ठभूमि और भविष्य की राजनीति पर अपने विचार स्पष्ट कर रहे हैं
The fact that the police watched silently Dalit men being beaten up for skinning a dead cow sends a chill down our spine. It reminds us of Ambedkar’s apprehensions about the implementation of a Constitution that was “more enlightened than the society it was drafted for”
यह तथ्य कि पुलिस एक मृत गाय की खाल उतारने के ‘अपराध’ में दलितों की बर्बर पिटाई की मूकदर्शक बनी रही, हमारी अंतरात्मा को झकझोरने वाला है। क्या आंबेडकर ने यह आशंका व्यक्त नहीं की थी कि भारतीय संविधान, उस समाज, जिसके लिए वह बनाया गया है, से कहीं अधिक प्रबुद्ध है
Satish Verma finds out how an increasing number of Bahujans throughout the country are reclaiming their culture
देश भर में मनाये जा रहे महिषासुर शहादत दिवस का जायजा ले रहे हैं सतीश वर्मा
In an interview with Utpalkant Anish, social activist Teesta Setalvad, while underlining the danger to democracy today, calls for a united struggle against the RSS
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ से मीडिया के शोधार्थी उत्पलकांत अनीस की बातचीत। तीस्ता बता रही हैं लोकतंत्र के खिलाफ वर्तमान खतरे को और जोर दे रही हैं संघ के खिलाफ एकजूट संघर्ष को
Parikkar believes that India is paradise. But let him ask the Dalits of Una, Gujarat, who were mercilessly thrashed and dragged after being tied to a car for skinning a dead cow. When they were facing this horror, they must have surely thought that they were living in hell
पार्रीकर को स्वीकार करना होगा कि जब गुजरात के दलितों को सिर्फ इसलिए पीटा गया था क्योंकि वे एक मरी गाय की खाल निकाल रहे थे, न सिर्फ उन्हें पीटा गया वरन उन्हें एक कार से बांधकर घसीटा भी गया, जब उनके साथ ऐसा क्रूर व्यवहार हो रहा था उस समय उन्हें यह महसूस हो रहा होगा कि वे नरक में हैं