पूंजीवाद स्वयं के बहाव में तमाम संस्कृतियों को शामिल कर लेता है। कालबेलिया नर्तकियों की मांग सिनेमा से लेकर यूरोप के तमाम देशों में जरूर है, मगर उससे कालबेलिया समुदाय के आम जीवन पर कोई सार्थक असर नहीं हुआ है। बता रहे हैं जनार्दन गोंड
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