हिमाचल प्रदेश में सवर्ण समुदाय न तो सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और ना ही राजनीतिक और आर्थिक रूप से। इसके अलावा सूबे में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए दस फीसदी का आरक्षण भी लागू है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा सामान्य वर्ग आयोग के गठन के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं अनिल स्वदेशी
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भारत में अबतक कुल 724 कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई है और मृतकों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि 130 करोड़ की आबादी के लिए सरकार के पास पर्याप्त संख्या में जांच केंद्र ही नहीं हैं। जैगम मुर्तजा की खबर
हिमाचल प्रदेश के दुर्गम घाटी पांगी में रहने वाले विभिन्न जनजातियों के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि चैहणी सुरंग नहीं बनने के कारण वे लोग छह माह तक शेष दुनिया से कटे रहते हैं
खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण किन्नौर का समाज व संस्कृति शेष भारत से अलग है। यह बौद्ध धर्म का इलाका है, जिसे हिंदूवादी संस्कृति लीलती जा रही है। हालांकि आर्थिक संपन्नता के आगमन से जाति-आधारित उत्पीड़न और भेदभाव कम हो रहा है। पढें, फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन की किन्नौर यात्रा के दौरान की गई यह बातचीत :
बीते दिनों खुबसूरत लाहौल स्पिति इलाके का मंजर भयावह था। हजारों जिंदगियां फंसी थीं। राज्य सरकार और सेना की सक्रियता के कारण छह दिनों तक चलाये गये रेस्क्यू आपरेशन में 4580 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। अब वहां जनजीवन सामान्य होने लगा है। बी. आनंद की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
दलित नेता केदार सिंह जिंदान की निर्मम हत्या को लगभग 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने जो आश्वासन दिया था वह अभी तक पूरा नहीं होने से हिमाचल के लोगों में काफी आक्रोश है। इसी सिलसिले में दलित शोषण मुक्ति मंच, सीटू, माकपा समेत अनेक संगठनों ने प्रदेशभर में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
बीते 7 सितंबर 2018 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में युवा दलित नेता व अधिवक्ता केदार सिंह जिंदान की निर्मम हत्या कर दी गयी। हालांकि पुलिस ने तीन अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है और मृतक के आश्रितों को बीस लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा भी कर दी है, इसके बावजूद सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। राजेश शर्मा की रिपोर्ट
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के नये निदेशक जेएनयू में अंग्रेजी के प्रो. मकरंद आर. परांजपे होंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त प्रो. परांजपे की पहचान अच्छे समालोचक, कहानीकार और चिंतक के रूप में रही है। बी. आनंद की खबर :
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हिमाचल के कुछ गांवों की आंगनवाडिय़ों से चौंका देने वाली खबर मिली…गांव वाले अपने बच्चों को उन आंगनवाडिय़ों में नहीं भेजते, जहां अनुसूचित जातियों के बच्चों को दाखिला दिया जाता है। अगर किसी आंगनवाड़ी का रसोईया अनुसूचित जाति का है तो सामान्य वर्ग के बच्चों के माता-पिता उनसे कह देते हैं कि वे केन्द्र में खाना न खाएं
The most alarming is the behaviour in the anganwadis (nurseries) in some villages…. The village folks don’t send their wards to the same anganwadi where SC children are admitted. If a cook at a centre is an SC, the general-category children are told by their parents not to consume the food