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भारत में अबतक कुल 724 कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई है और मृतकों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि 130 करोड़ की आबादी के लिए सरकार के पास पर्याप्त संख्या में जांच केंद्र ही नहीं हैं। जैगम मुर्तजा की खबर
हिमाचल प्रदेश के दुर्गम घाटी पांगी में रहने वाले विभिन्न जनजातियों के लोगों ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि चैहणी सुरंग नहीं बनने के कारण वे लोग छह माह तक शेष दुनिया से कटे रहते हैं
खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण किन्नौर का समाज व संस्कृति शेष भारत से अलग है। यह बौद्ध धर्म का इलाका है, जिसे हिंदूवादी संस्कृति लीलती जा रही है। हालांकि आर्थिक संपन्नता के आगमन से जाति-आधारित उत्पीड़न और भेदभाव कम हो रहा है। पढें, फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन की किन्नौर यात्रा के दौरान की गई यह बातचीत :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
बीते दिनों खुबसूरत लाहौल स्पिति इलाके का मंजर भयावह था। हजारों जिंदगियां फंसी थीं। राज्य सरकार और सेना की सक्रियता के कारण छह दिनों तक चलाये गये रेस्क्यू आपरेशन में 4580 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। अब वहां जनजीवन सामान्य होने लगा है। बी. आनंद की खबर :
दलित नेता केदार सिंह जिंदान की निर्मम हत्या को लगभग 20 दिन बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने जो आश्वासन दिया था वह अभी तक पूरा नहीं होने से हिमाचल के लोगों में काफी आक्रोश है। इसी सिलसिले में दलित शोषण मुक्ति मंच, सीटू, माकपा समेत अनेक संगठनों ने प्रदेशभर में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
बीते 7 सितंबर 2018 को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में युवा दलित नेता व अधिवक्ता केदार सिंह जिंदान की निर्मम हत्या कर दी गयी। हालांकि पुलिस ने तीन अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है और मृतक के आश्रितों को बीस लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा भी कर दी है, इसके बावजूद सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। राजेश शर्मा की रिपोर्ट
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भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के नये निदेशक जेएनयू में अंग्रेजी के प्रो. मकरंद आर. परांजपे होंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त प्रो. परांजपे की पहचान अच्छे समालोचक, कहानीकार और चिंतक के रूप में रही है। बी. आनंद की खबर :
Rapes are almost unheard-of in Himachal Pradesh. Perhaps, that is why this barbaric incident has shaken the people of the state
हिमाचल प्रदेश में बलात्कार के मामले लगभग न के बराबर होते हैं। संभवत: यही वजह है कि इस एक घटना ने लोगों को झकझोर दिया है। आलम यह है कि पुलिस से लेकर प्रदेश की सरकार तक कटघरे में है। बता रहे हैं हमारे स्थानीय संवाददाता मुकेश :
Himachali poet SR Harnot says, “‘It is a shame that Dalits are still treated as children of a lesser God.’ There are over a dozen temples in the state where Dalits cannot even touch the temple walls.”
हिमाचली लेखक एसआर हरनोट कहते हैं, ‘यह शर्मनाक है कि आज भी राज्य में कम से कम ऐसे एक दर्जन मंदिर हैं जिनकी दीवारें तक दलित नहीं छू सकते।’
To provide maximum benefits to the OBCs, Himachal Pradesh Chief Minister Virbhadra Singh said, his government had raised the income limit of creamy layer from Rs 4.50 lakhs to Rs 6 lakhs per annum
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने क्रीमी लेयर की आय सीमा रुपये 4.50 लाख प्रति वर्ष से बढ़ाकर रुपये 6 लाख कर दी है। इस आशय की घोषणा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की