फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाओं में यथार्थपरकता है। इसमें कोई संदेह नहीं। स्वयं रेणु ने भी यही कहा है। लेकिन फिर ऐसा क्यों है कि उनकी रचनाओं में दलित व पिछड़ी जाति के पात्रों के साथ भेदभाव नजर आता है। बता रही हैं पूनम तुषामड़
–