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ज्यां द्रेज के मुताबिक, भारत में हिन्दू राष्ट्रवाद के उभार को हम समतामूलक प्रजातंत्र के खिलाफ ऊंची जातियों की बगावत के रूप में देख सकते है। ऊंची जातियों के लिए हिंदुत्व वह ‘लाइफबोट’ है जो उन्हें उस काल में वापस ले जाएगी, जब ब्राह्मणवादी सामाजिक व्यवस्था का बोलबाला था
लेखक अलख निरंजन बता रहे हैं कि सीएए का विरोध इसलिए भी आवश्यक है कि जिस मंशा के साथ यह सब किया जा रहा है, उसके केंद्र में केवल मुसलमानों को अलग-थलग करना ही नहीं, बल्कि द्विजवादी वर्चस्व के खिलाफ उठ रहे विरोधों का दमन करना भी है
लेखक प्रेमकुमार मणि बता रहे हैं कि आर्यों के ऋग्वेद में सिंधु तो है, ‘हिन्दू’ शब्द नहीं है। आर्यों का मुकाबला यहां पहले से रह रहे हिन्दुओं से हुआ। भारतीय इतिहास का इतना अधिक आर्य-केंद्रित होना भी, हमारे इतिहास-अध्ययन की एक बड़ी कमजोरी कही जाएगी
The judgment of the Meghalaya High Court in the recent ‘Amon Rana vs State of Meghalaya’ case openly argues for turning India into a Hindu nation, relying on distorted history and creating a false representation of the Northeast
भारतीय संविधान में आदिवासी हिंदू की श्रेणी में रखे गए हैं। परंतु कानूनों में प्रावधान अलग हैं। इसका खामियाजा आदिवासियों को उठाना पड़ता है
वर्तमान में भारत का संविधान जाति के उन्मूलन के लिए अनुकूल नहीं है। यह इसे मौलिक अधिकार के विपरीत मानता है, और साथ ही, यह सांप्रदायिक अनुपात को भी प्रतिबंधित करता है क्योंकि यह वर्ग-घृणा को मानता है। कहने के लिए कि जाति रह सकती है, लेकिन जाति के आधार पर विशेषाधिकारों का बना रहना सबसे बड़ी धोखाधड़ी है
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
भारतीय राजनीति में हनुमान शब्द एक प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। मसलन बिहार में कभी नीतीश लालू के हनुमान थे, तो आजकल अमित शाह को प्रधानमंत्री माेदी का हनुमान कहा जा रहा है। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने हनुमान की जाति दलित बताकर पूरी राजनीति में उबाल ला दिया है। सिद्धार्थ का विश्लेषण :
Dr Ambedkar, in ‘Annihilation of Caste’, says that the Hindu religious scriptures are overflowing with fanciful mythological tales. Moreover, these tales were used to build and sustain the caste system, writes Kanwal Bharti
‘जाति का विनाश’ में डॉ. आंबेडकर ने यह स्पष्ट उल्लेख किया कि किस तरह हिंदू धार्मिक ग्रंथ न केवल कपोल-कल्पित मिथकों से भरे पड़े हैं, बल्कि यह भी कि जाति व्यवस्था के निर्माण व वर्चस्व बनाये रखने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। कंवल भारती का विश्लेषण :
Since we Bahujans continue to swell the ranks of Hindu religion, no, we have not annihilated caste. Rather, we seem to have strengthened it. Certainly, many have left Hinduism to embrace other religions but even there they have taken shelter under the very blind devotion and irrational ritualism that Babasaheb and Buddha thundered against. Read Nijam Gara’s analysis of the sorry state of affairs
चूंकि हम बहुजन आज भी हिन्दू धर्म के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं इसलिए हम जाति का उन्मूलन नहीं कर सके हैं। उल्टे, हमने जाति व्यवस्था को शायद मजबूती ही दी है। हममें से कुछ ने हिन्दू धर्म को त्यागकर अन्य धर्मों को अपनाया है परंतु वहां भी हम अंधभक्ति और अतार्किक कर्मकांडवाद, जिनके विरूद्ध बाबासाहेब और बुद्ध ने हुंकार भरी थी, के मकड़जाल में फंसे हुए हैं। निजाम गारा का विश्लेषण :
Looking at the seriousness and sensitivity of the issue, we appeal to the Narendra Modi-led government at the Centre to conduct nationwide raids to seize cricket balls made of cowhide and prove its secular credentials by banning this anti-Hindu game in India
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की केन्द्र सरकार से मामले की गंभीरता- संवेदनशीलता को देखते हुये अपील है कि देशभर में गाय के चमड़े से बनने वाले क्रिकेट बॉल को खोजवाकर जब्त करे, साथ ही इस हिंदू विरोधी खेल के भारत में खेले जाने पर रोक लगाकर धर्मनिरपेक्ष होने का सबूत दे