मुझे मारियो वर्गास ल्योसा के उपन्यास ‘किस्सागो’ (स्टोरीटेलर) की याद आती है जिसमें एक विशाल पहाड़ी पर रहनेवाले आदिवासियों को उजाड़ने का सवाल उठाया गया है और इस द्वन्द को रेखांकित गया है कि क्या खनिज संपदा के अकूत भंडार के लिए आदिवासियों को उजाड़ दिया जाय या लार टपकाती तिजारती व्यवस्था को रोका जाय? सवाल उठा रहे हैं रामजी यादव