लोकगायक डॉ. बृजेश यादव ने कहा कि ‘जो भक्ति भजन का गाना है, वो बंद बुद्धि तैयार करने के लिए और औरतों को मानसिक गुलाम बनाने के लिए है। उन्होंने कार्यक्रमों की शुरुआत भक्ति वंदना से नहीं करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह दुखद है कि हमारे खुद के साथी ऐसा करते हैं। अगर वे वंदना न गायें तो उनके मुंह से बकार ही नहीं फूटती।’ बता रहे हैं शिवानंद यादव