राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान की महासचिव बीना पालिकल कहती हैं कि “देश को ब्रिटिश गुलामी से मुक्त हुए सात दशक से अधिक हो गया है, लेकिन लैंगिक असमानता के कारण दलित महिलाएं जाति के चंगुल और भेदभाव से मुक्त नहीं हुई हैं। हम सभी क्षेत्रों में बराबरी की मांग करते हैं। हम अपने लिए गरिमा के साथ जीने के अधिकार की मांग करते हैं।”