इस आलेख में ओमप्रकाश कश्यप पेरियार को देशज आधुनिकता के प्रवर्तक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। जिनका मानना था कि वर्ण-जाति के विनाश के बिना भारत को एक आधुनिक राष्ट्र नहीं बनाया जा सकता है
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