मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में आदिवासियों व परंपरागत वननिवासियों को वनाधिकार अधिनियम, 2006 के तहत पट्टा नहीं दिया जा रहा है। इससे उनके सामने रहने-जीने का संकट उत्पन्न हो गया है। वे दहशत में हैं कि कहीं सरकार उन्हें बेघर न कर दे। बता रहे हैं राजन कुमार
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सपाक्स के सभी 110 उम्मीदवारों ने अपनी जमानतें गवां दीं और तीसरी शक्ति का कहीं अता-पता नहीं था। आदिवासी नेता और जयस के संस्थापक डा. हीरालाल अलावा ने मनावर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की
All of the 110 SAPAKS candidates forfeited their deposits and there wasn’t a third force to speak of. Adivasi leader and JAYS founder Hiralal Alawa won from the Manawar constituency as a Congress candidate
आदिवासी युवाओं के संगठन जयस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है। इसके साथ ही इस संगठन में दरार भी सामने आये हैं। इसके राष्ट्रीय संरक्षक डा. हीरालाल अलावा पर भी कई आरोप लगाये गये हैं। जयस के निर्माण और आरोपों के बारे में बता रहे हैं राजन कुमार :
Jai Adivasi Yuva Shakti (JAYS), a tribal youth group, has decided to contest the Madhya Pradesh Assembly elections. But fissures in the organization have come to the surface. There have been several allegations against its national secretary, Dr Hiralal Alawa. How did JAYS come to be? What are the allegations? Rajan Kumar traces the JAYS journey
जयस दो अक्टूबर को किसान महापंचायत का आयोजन कर रहा है, जिसमें फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर भी शामिल होंगे। शक्ति प्रदर्शन करने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में जयस अपने एजेंडे की घोषणा भी करेगा। पढ़ें फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
आदिवासी समाज के आत्मसम्मान, अस्मिता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए युवाओं को राजनीति में आना पड़ेगा। क्योंकि पिछले 70 वर्षों से आदिवासियों के नाम पर ऐसे प्रतिनिधि चुने जा रहे हैं, जिनका आदिवासी मुद्दों से गहरा सरोकार नहीं है। आदिवासी युवाओं के नाम हीरालाल अलावा का पत्र :
Adivasis have to step up to protect the Constitutional rights of their community. Their representatives in the assemblies and Parliament over the past 70 years have failed them. Hiralal Alawa writes an open letter to the Adivasi youth
मध्यप्रदेश के कुछ आदिवासी संगठनों ने युवा अादिवासियों के संगठन ‘जयस’ की राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बना ली है। ये सामाजिक संगठन जयस का विरोध भी नहीं कर रहे हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से उसके साथ भी नहीं हैं। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
जयस का मानना है कि भाजपा-कांग्रेस जैसे मौजूदा दलों ने आदिवासी समुदाय को केवल प्रतिनिधित्व दिया, नेतृत्व नहीं दिया। ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ का नारा कितना प्रभावी होगा, जानने के लिए पढ़ें फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट
आदिवासी चेतना की यह 21वीं सदी है जो वैचारिकी और जमीन से निकले आंदोलनों वाले लोकतांत्रिक हथियारों से लैस है। जयस इन्हीं लोकतांत्रिक मूल्यों का वाहक है। वह मध्य प्रदेश के 32 आदिवासी गांवों की लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर ले आया है। जहां से राज्य सरकार के लिए पार पाना आसान नहीं है। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट