इस समय हमारी ऊर्जा दलित-बहुजनों के मूलभूत सवालों पर होनी चाहिए। यह जरूर अच्छी बात है कि हम संघर्षरत दूसरे आंदोलनों के साथ जुड़ें और अपनी बात रखें, लेकिन बातों को रखते समय ध्यान रखे कि क्या हम अपनी बात को आसानी से बिना कड़वाहट के रख सकते हैं या नहीं। पढ़ें, विद्या भूषण रावत का यह विश्लेषण