वहां 14 अप्रैल, 2007 को सवेरे दस बजे कार्यक्रम आयोजित किया गया। सभागार में कराची और पंजाब के कुछ प्रदेशों के बुद्धिजीवी इकट्ठे हुए थे। मुझे बाबासाहब के आंदोलनों पर बोलना था। व्याख्यान हुआ। इस पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की एक रिटायर्ड महिला जज कर रही थीं। प्रसिद्ध दलित लेखक व अनुवादक सूर्य नरायण रणसुभे का संस्मरण