कैलाश वानखेड़े अपनी कहानियों में यथार्थ को समग्रता में प्रस्तुत करते हैं। यह समग्रता उन्हें सिसकते जन तक पहुंचाती है। दलित जीवन के शोषण के इलाकों की जिस तरह शिनाख्त करते हैं, उससे शोषणकारी तंत्र की सारी तरकीबें अपने आप उघड़ जाती है। बता रहे हैं युवा समालोचक सुरेश कुमार