जोतीराव फुले और डॉ. आंबेडकर के आंदोलन की बदौलत ही आजाद देश के तालीमी इदारे (शिक्षण संस्थाएं) सभी जातियों और धर्मों के लिए खोल दिए गए। इसके बावजूद आज भी वर्चस्ववादी ताकतें नहीं चाहती हैं कि शोषित वर्ग को शिक्षा मिले। बता रहे हैं अभय कुमार
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लेखक प्रेमकुमार मणि बता रहे हैं कि तमिल, संस्कृत के मुकाबले बहुत प्राचीन भाषा है और उसका साहित्य विशद और समृद्ध भी है। साथ ही यह भी कि सिन्धु-सभ्यता से इन द्रविड़ों के पूर्वजों का कोई रिश्ता था। सिन्धु-सभ्यता निवासियों की कुछ प्रवृत्तियां इनमें आज भी देखी जा सकती हैं
महिष दसरा को कर्नाटक के सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल किया गया है। इस वर्ष हुए आयोजन में पहले से भी अधिक लोगों और प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भागीदारी ली। विधायक सतीश जारकिहोली ने कहा कि चामुंडी हिल्स पर बनी महिषा की मूर्ति के नकारात्मक स्वरूप को बदलने के लिए वे लोगों से राय मशविरा करेंगे। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Mahisha Dasara has established itself on Karnataka’s cultural calendar. This year, it drew even more dignitaries. Satish Jarkiholi, MLA, said he would seek views on ‘modifying’ the demonic statue of Mahisha atop Chamundi Hills
उत्तर प्रदेश से बाहर पहली बार किसी राज्य में बसपा से मंत्री बने एन. महेश ने कर्नाटक में कुमारास्वामी सरकार से 11 अक्टूबर को अपने पद इस्तीफा दे दिया। इस संबंध में कई कयास लगाये गये। लेकिन अब उन्होंने सारे कयासों को नकारा है। फारवर्ड प्रेस से विशेष बातचीत का संपादित अंश :
On 14 October 2018, a large number of Dalits and Backwards in Chhapra, Bihar, embraced Buddhism. It is particularly significant in the wake of the increasing atrocities against Dalits in the last few years. A report by Forward Press