आरक्षण का मकसद शासन व प्रशासन में उनकी हिस्सेदारी को बढ़ाना है जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े रहे हैं। यह गरीबी उन्मूलन नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व बढ़ाने का उपक्रम है। जैसे रक्षा और विदेश नीति के मामले में सभी राजनैतिक दल एकमत होते हैं, आरक्षण के सवाल पर भी उन्हें एक राय बनानी चाहिए। जाति के आधार पर तुष्टिकरण के परिणाम अबतक नकारात्मक रहे हैं