प्रेमकुमार मणि बता रहे हैं बुद्ध के समकालीन गणतांत्रिक सामाजिक व्यवस्था के विनष्ट होने और राजतंत्र के स्थापित होने के बारे में। उनके मुताबिक गणतंत्रीय व्यवस्था में सामंतवादी तत्व हावी थे और इनकी कुलीनता राजतन्त्र के मुकाबले सामाजिक रूप से प्रतिगामी चरित्र की थी