पसमांदा समाज की स्थिति दलित जातियों के समतुल्य है। इस समाज की महिलाओं की स्थिति अब भी बदतर है। शिक्षा और स्वास्थ्य आदि मानकों पर ये हाशिए पर भी नहीं। बता रहे हैं हुसैन ताबिश
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