पेरियार का आत्मसम्मान आंदोलन, अनीश्वरवाद से अनुप्रेरित एक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन था। बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में पेरियार के उग्र जाति-विरोधी विचारों ने तमिलभाषी इलाकों में जबरदस्त राजनीतिक उबाल पैदा कर दिया था। यह आंदोलन जातिवाद और ब्राह्मणवादी पाखंडों का विरोधी था। एम. करुणानिधि जीवनपर्यंत इन विचारों के प्रतिबद्ध रहे। बता रहे हैं रामनरेश यादव