कुल समाज जब गणराज्य के रूप में संगठित हुआ, तब उस समय गणों के सभागृह में सबसे पहले जिस कानून का मंजूरी दी गई, वह कुल बाह्य विवाह का कानून था। इस प्रकार भारतीय मूलनिवासी समाज बाह्य विवाही था। यही बात डॉ. आंबेडकर भी कहते हैं। उदाहरण के लिए मेरा सरनेम देवरे है। देवरे कुल की कुल माता का नाम धनदाई माता है। बता रहे हैं श्रावण देवरे