उत्तर भारत के शोषितों-पीड़ितों को द्विजवादियों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए पेरियार ललई सिंह यादव ने आजीवन संघर्ष किया। लेकिन आज उत्तरप्रदेश में दलित-बहुजनों की राजनीति करने वाले अखिलेश-मायावती के लिए परशुराम महत्वपूर्ण हो गए हैं। आर. के. गौतम का विश्लेषण
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जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। अगर जाति आधारित जनगणना होती है तो उससे यह जो आरक्षण वाला मुद्दा है या जातियों के राजनीतिकरण का विषय है, उसमें से जो कूड़ा-कड़कट आ गया है, उसका सफाया हो जाएगा। फारवर्ड प्रेस से बातचीत में राम बहादुर राय
साफ़-साफ़ शब्दों में कहें तो बसपा प्रमुख मायावती के भाई आनंद की गर्दन पर लटकी सीबीआई की तलवार की वजह से यह गठबंधन टूटा। सपा और बसपा के बीच गठबंधन एक सफल प्रयोग था जिसे खत्म कर दिया गया। फारवर्ड प्रेस से विशेष बातचीत में उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर
The chief of the Suheldev Bharatiya Samaj Party says the SP-BSP alliance collapsed only because of the CBI’s sword hanging over the head of Mayawati’s brother Anand. Talking to Forward Press, he termed the alliance a successful experiment
लेखक जुबैर आलम सवाल उठा रहे हैं कि किस प्रकार सपा और बसपा जैसी पार्टियों ने मुसलमानों के वोटों का केवल सत्ता के लिए इस्तेमाल किया। जबकि उनके सवाल सवाल ही रहे
लेखक जुबैर आलम बता रहे हैं कि ओबीसी नेतृत्व में आपको हिन्दू नेता मिल जायेंगे लेकिन आपको ठीक से चार मुस्लिम नेता भी नहीं मिलेंगे जिनकी पहचान ओबीसी नेता की हो। ओबीसी के स्थापित नेतागणों को बताना चाहिए लगभग तीस साल के इस सफर में आखिर क्यों मुस्लिम समुदाय से ओबीसी नेतृत्व सामने नहीं ला पाये?
बसपा के पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद के मुताबिक, कांशीराम ने दलितों और ओबीसी के बीच एक विश्वास कायम किया था। उस विश्वास को मायावती तोड़ रही हैं
लेखक बापू राऊत के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की हार की एक बड़ी वजह यह रही कि मायावती ने खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दिया। आज भी यह देश एक दलित को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकारने को तैयार नहीं है
प्रेमकुमार मणि अपने इस विश्लेषण में बता रहे हैं कि कैसे देश में नरेंद्र मोदी की राजनैतिक आंधी बही और कांग्रेस व उसकी सहयोगी पार्टियों को करारी हार मिली। वे यह भी बता रहे हैं कि बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत के बावजूद नीतीश कुमार के चेहरे पर उदासी क्यों है
Premkumar Mani explains how the Modi wave decimated the Congress and its allies in the Lok Sabha elections and why Nitish Kumar is unhappy despite the NDA winning 39 of the 40 seats in Bihar
गरीब सवर्णों के आरक्षण को मायावती से लेकर रामविलास पासवान और रामदास आठवले तक ने समर्थन किया है। इस प्रकार इस विधेयक ने दलित समुदाय के बीच से उठती आवाज़ों को एक किया है। इसके पीछे एक कारण है। दरअसल, देश में दलित नेतृत्व गरीब जनता द्वारा गरीब जनता के लिए है
यूपी और बिहार में कुल मिलाकर 120 सीटें हैं, जो सपा-बसपा-राजद के गठबंधन के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। इसके साथ ही मायावती भारतीय राजनीति के केंद्र में आ गई हैं और इस कारण उनके उपर हमले तेज हुए हैं